भीम सिंह, गांव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश।

फेल होकर घर लौटा लाल
बाप कहे उधेड़ूगा खाल
थोड़ा भी इसे आया न ख्याल
मस्ती में गवा दिया पूरा साल।

मेहनत मजदूरी करके पढ़ा रहा हूँ
बड़ी मुश्किल घर खर्च चला रहा हूँ
फिर भी इन्हें थोड़ा नहीं ज्ञान
मैं तो इनकी करतूतों से हैरान ।

मां-बाप का दर्द ये बच्चे क्या जाने
जिन्हें भरपेट मिल जाता है खाने
पता तो इन्हें तब चलता है
जब चार पैसे पड़ते हैं कमाने।

नासमझी से न जाने कितने बच्चे
अपना जीवन बर्बाद कर जाते हैं
फिर सारी उम्र अपनी नाकामी पर
पछताते हैं खून के आंसू बहाते हैं ।

मां-बाप तो सबके चाहते हैं
उनके बच्चे पढ़े-लिखें नाम कमायें
मगर जो बच्चे कुछ नहीं समझते
उनको कोई भला कैसे समझायें।

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