छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों में आम सभाओं के ज़रिए पीटीए गठन करके भारी फीसों पर रोक लगाने की मांग की है। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा व सदस्य विवेक कश्यप ने उच्चतर शिक्षा निदेशक को चेताया है कि अगर उन्होंने 7 अप्रैल 2022 को छात्र अभिभावक मंच के प्रतिनिधिमंडल को किये गए वायदे अनुसार आम सभाओं,पीटीए गठन व भारी फीसों पर रोक लगाने के संदर्भ में तुरन्त आदेश जारी न किए तो मंच 29 अप्रैल को शिक्षा निदेशालय का घेराव करेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा निदेशक को निजी स्कूलों की मनमानी को रोकने के सन्दर्भ में मांग-पत्र सौंपे हुए सत्रह दिन बीत चुके हैं। इस दौरान मंच पदाधिकारियों की शिक्षा अधिकारियों से कई बार बातचीत भी हुई है परन्तु इसके बावजूद भी आदेश न जारी होना साफ बता रहा है कि प्रदेश सरकार व शिक्षा अधिकारियों की निजी स्कूल प्रबंधनों से सांठ-गांठ है। उन्होंने कहा है कि निजी स्कूलों की मनमानी व भारी फीसों पर रोक लगाने के संदर्भ में शिक्षा विभाग द्वारा तैयार की गई कार्यवाही फाइल पिछले पंद्रह दिन से उच्चतर शिक्षा निदेशक के टेबल पर पड़ी हुई है परन्तु वह उस पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं। यह छात्रों व अभिभावकों से धोखा है। प्रदेश सरकार निजी स्कूलों में पढ़ने वाले साढ़े छः लाख छात्रों व उनके लगभग दस लाख अभिभावकों को न्याय देने के बजाए निजी स्कूल प्रबंधनों की मनमानी लूट,फीस वृद्धि व भारी फीसों का खुला समर्थन कर रही है जोकि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रदेश सरकार निजी स्कूलों के संचालन के लिए जान-बूझ कर कानून व रेगुलेटरी कमीशन नहीं बना रही है ताकि निजी स्कूलों की लूट बदस्तूर जारी रहे। निजी स्कूलों द्वारा हर वर्ष एडमिशन फीस लेने व सभी तरह के चार्जेज़ पर नकेल लगाने सम्बन्धी हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के 27 अप्रैल 2016 के निर्णय को भी सरकार अनदेखा कर रही है व इसे लागू नहीं कर रही है। इस तरह प्रत्यक्ष व परोक्ष दोनों तरह से सरकार निजी स्कूलों की लूट को खुली छूट दे रही है।

उन्होंने कहा कि निजी स्कूल प्रबंधन शिक्षा निदेशालय के वर्ष 2018 व 2019 के आदेशों की लगातार अवहेलना कर रहे हैं। वे न तो अभिभावकों की आम सभाएं आयोजित कर रहे हैं और न ही पीटीए गठन कर रहे हैं। निजी स्कूल पीटीए व आम सभा को हर कक्षा की सेक्शन वार पीटीएम से रीप्लेस करने की कोशिश कर रहे हैं। निजी स्कूलों की मनमानी लूट पर रोक लगाने के लिए ही अभिभावकों के निरन्तर आंदोलन के बाद ही उच्चतर शिक्षा निदेशक ने शिक्षा का अधिकार कानून,2009 व मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वर्ष 2014 के दिशानिर्देशों पर अमल करते हुए दिसम्बर 2018 में जनरल हाउस आयोजित करके पीटीए के गठन को अनिवार्य कर दिया था। इस आदेश में हर निजी स्कूल में आम सभा आयोजित कर 15 मार्च से पूर्व पीटीए गठन अनिवार्य किया गया था। इस आदेश में यह भी स्पष्ट था कि पीटीए सदस्यों में दो-तिहाई संख्या अभिभावकों की होनी चाहिए। इस आदेश में स्पष्टतः अंकित था कि पीटीए का गठन केवल आम सभा में होगा व इसे स्कूल वेबसाइट में दर्शाना अनिवार्य होगा व पीटीए स्कूल प्रबंधन द्वारा मनोनीत नहीं हो सकती है। इसका गठन उक्त निजी स्कूल के नजदीक स्थित सरकारी स्कूल मुख्याध्यापक,प्रधानाचार्य अथवा कॉलेज प्राध्यापक की अध्यक्षता में होना चाहिए व इसकी कार्यवाई सूचना लिखित रूप में शिक्षा निदेशालय को देना अनिवार्य है। निजी स्कूलों के संदर्भ में उच्चतर शिक्षा निदेशक के ये आदेश धूल फांक रहे हैं व निजी स्कूल प्रबंधन मनमानी लूट जारी रखे हुए हैं। अगर ये आदेश लागू हुए होते तो पिछले तीन वर्षों में 25 से 50 प्रतिशत की फीस वृद्धि से अभिभावकों को राहत मिल सकती थी परन्तु निजी स्कूलों की लूट पर सरकार व शिक्षा विभाग की खामोशी सब कुछ बयान कर रही है। मंच ने प्रदेश सरकार व उच्चतर शिक्षा निदेशालय को चेताया है कि अगर निजी स्कूलों में तुरन्त आम सभाएं आयोजित करके पीटीए का गठन न हुआ व भारी फीस वृद्धि पर रोक न लगी तो अभिभावक सरकार के खिलाफ दोबारा मोर्चा खोलेंगे व 29 अप्रैल को शिक्षा निदेशालय पर प्रदर्शन होगा।

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