अनुकृति रंगमंडल कानपुर द्वारा भाषा एवं संस्कृति विभाग, हिप्र. व एमेच्योर ड्रामेटिक एसोसिएशन, शिमला के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय नाट्य समारोह का समापन आज नाटक ” मैं मनोहर सिंह हूं ” के शानदार मंचन के साथ हुई।नाटक में शिमला के साधारण से युवा की असाधारण अभिनेता बनने की दास्तान प्रस्तुत की गयी। मनोहर सिंह की अभिनय पद्धति, अभिनीत किए जाने वाले चरित्र को आत्मसात करने की तैयारी, उनके समकक्ष अभिनेत्रियों सुरेखा सिकरी व उत्तरा बावरकर की चरित्र निर्माण की विधि की भी नाटक में चर्चा की कोशिश गयी। मनोहर सिंह द्वारा अभिनीत चर्चित नाटकों आधे अधूरे, लुक बैंक इन एंगर, संध्या छाया, ओथेलो, किंग लीयर, तुगलक, दांतों की मौत तथा हिम्मत माई का रिफरेंस भी नजर आया। करियर के एक पड़ाव में थिएटर, सिनेगा और सीरियलों में समन्वय स्थापित करते करते कैंसर की लम्बी जदोजहद के बाद इस दुनिया से अलविदा के साथ नाटक का पटाक्षेप होता है। नाटक देश भर में रंगकर्मियों की बुरी स्थिति के बारे में सवाल उठाता है और हर राज्य सरकारों से आग्रह करता है कि अच्छा रंगकर्म करने वालों को सुविधाएं दे सम्मान दें। रंगकर्मियों के फिल्मों और सीरियलों में पलायन को लेकर भी गंभीर प्रश्न उठाता है।
नाटक के लेखक, निर्देशक केहर सिंह ठाकुर ने बतौर अभिनेता मनोहर सिंह का किरदार भी बखूबी जीवंत किया।आलोक, वस्त्र व सैट परिकल्पना मीनाक्षी, प्रकाश संचालन ममता, पार्श्व ध्वनि संचालन आरती ठाकुर, रेवत राम विक्की, बैकग्राउंड म्युजिक अरेंजर, प्रॉपर्टीज वैभव ठाकुर की रही। उल्लेखनीय है कि गेयटी थिएटर फेस्टिवल को सफल बनाने के लिए हिमाचल प्रदेश की अग्रणी नाट्य संस्था संकल्प रंगमंडल शिमला ने नैतिकता से अनुकृति रंगमंडल कानपुर को स्थानीय सहयोग प्रदान किया जिसे देश भर के रंगमंच व रंगकर्मियों के साथ हिमाचल प्रदेश के एक स्वस्थ सांस्कृतिक आदान प्रदान की पहल के रूप में सम्मान से देखा जाना चाहिए l संकल्प रंगमंडल शिमला ने विशेष रूप से गेयटी थिएटर फेस्टिवल के लिए हर रंगमंचीय विभाग के लिए अपने प्रतिनिधि नियुक्त किए थे जिनमें केदार ठाकुर, नरेश कुमार मिनचा, लोकेश लक्की, प्रीतिका नौटियाल, नीरज ठाकुर शामिल हुए l कोविड 19 महामारी के दौरान “थिएटर का मक्का” गेयटी थिएटर वीरान था लेकिन अब यहां के ऐतिहासिक मंच पर रौनक लौटने लगी है और एक से बढ़कर एक नाटक अब प्रस्तुत किए जा रहे हैं और शिमला के रंगमंच ने स्तरीय नाटकों की प्रस्तुतियों और सकारात्मक प्रयासों से कोविड महामारी के रंगमंच पर पड़े नकारात्मक प्रभाव को निष्क्रिय करने में सफलता प्राप्त की है l कोविड महामारी के पश्चात भाषा संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश की सक्रिय भागीदारी से बेहतर संभावनाएं मुखरित हुई हैं जो एक स्वस्थ रंगपरंपरा के सकारात्मक विकास की ओर इंगित और आश्वस्त करती है l