September 21, 2025

Tag: literature

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उम्मीद का धुंआ

दीपक भारद्वाज एक गांव से निकलते हैं जब नन्हे-नन्हे कदम किसी सुदूर देश की सरहद के लिए फिर वापिस, आ पाते हैं बहुत ही कम क्योंकि वो नहीं देखते निकलने के...

लड़कियां

अशोक दर्द, गांव घट्ट, डाकघर शेरपुर, तह डलहौजी, जिला चम्बा, हिमाचल प्रदेश धान की पनीरी की तरह पहले बीजी जाती हैं लड़कियां थोड़ा सा कद बढ़ जाये थोड़ा सा रंग...

Identity

Dr. Anjali Dewan, Shimla I am like a drop of water in the sea, With no name, no identity, A part of the whole. Though you can see...

पतंग की डोर

अभिमन्यु कमलेश राणा उसे ढील दो है पतंग की डोर जो छूना चाहते गर आसमानों को औरों को भी उड़ने दो पेंच लड़ाने उलझे जो थाम लोगे अपनी उड़ान को सफर...

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