डॉक्टर जय महलवाल

वो जब आते हैं,
ख्वाबों में,
खयालों में,
क्यों,
लूट ले जाते हैं,
दिल का चैनों अमन,
और,
हम खो जातें हैं,
मय के प्यालों में,

वो,
जब मिल के बिछुड़ जातें है,
तो यूं लगता है,
जैसे सूखे हुए फूल,
मिलते हैं अब किताबों में,

वो,
जब मिलते हैं,
यादों की मुलाकातों में,
तो,
यूं लगता है जैसे,
मनभाती कोयल गा,
रही हो सावन में।

वो: डॉक्टर जय महलवाल

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