प्रतिभा के साथ अगर कड़ी मेहनत, लगन और परिवार का प्रोत्साहन भी मिल जाए तो बेटियां कोई भी सफलता हासिल कर सकती हैं। शिमला की विपाशा श्रीवास्तव ने चंडीगढ़ के प्रतिष्ठित गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज सेक्टर 32 की एमफिल (क्लिनिकल साइकोलॉजी) की कठिन प्रवेश परीक्षा में टॉप करके वहां दाखिला हासिल किया है। सामान्य वर्ग की सिर्फ एक सीट के लिए हुई अखिल भारतीय परीक्षा में विपाशा ने सर्वोच्च अंक प्राप्त किए।
बचपन से मनोवैज्ञानिक बनने का सपना पाले विपाशा श्रीवास्तव ने दसवीं दयानंद पब्लिक स्कूल और 12वीं की परीक्षा लोरेटो कन्वेंट तारा हॉल शिमला से उच्च प्रथम श्रेणी में पास की थी। इसके बाद उसने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से बीए (साइकोलॉजी ऑनर्स) और दिल्ली विश्वविद्यालय से साइकोलॉजी में एमए अच्छे अंकों से उत्तीर्ण किया। चंडीगढ़ के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज सेक्टर-32 में एमफिल (क्लिनिकल साइकोलॉजी) में सिर्फ 7 सीटें हैं।
इनमें से छह पंजाब यूनिवर्सिटी से मास्टर्स करने वालों के लिए आरक्षित हैं। सामान्य वर्ग की सिर्फ एक सीट है जिसके लिए देश भर के सैकड़ों बच्चों ने अप्लाई किया था। विपाशा की मां मृदुला श्रीवास्तव सतलुज जल विद्युत निगम में उप-महाप्रबंधक और पिता प्रो. अजय श्रीवास्तव हाल ही में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए हैं। उनका कहना है कि बेटियों को अपने लक्ष्य निर्धारित करने की आज़ादी होनी चाहिए। अभिभावकों को उन पर अपनी इच्छाएं नहीं थोपनी चाहिए। उन्हें यदि अवसर दिए जाएं तो वह कोई ऊंचाई नाप सकती हैं।
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