कोमल, बीएससी मेडिकल, 1st ईयर, बैजनाथ गवर्नमेंट कॉलेज

बीती बातें बीते लम्हे
याद बन जाते है
समय चाहे जैसा भी हो पीछे पीछे
चले आते है…
हमे रख कर बेखबर हम में ही बस जाते है
न चाहते हुए भी क्यों पीछे पीछे चले आते है
ये बीते लम्हे हाथ कभी न आते है
फिर भी न जाने क्यों ये इतना हमे सताते है
परछाई बन हमसे कदम से कदम मिलाते है
भूलना चाहो चाहे जितना भी
फिर भी दिल से कभी न जाते है
निगाहों में रह जाते है, पल पल में नज़र ये आते है
न चाहते हुए भी क्यों रोज़ ये हमसे मिलने आते है…
हमे रुला कर बेखोफ नज़र ये आते है
क्यू ये हमारे पीछे पीछे चले आते हैं।

***

कश्तियो में जूनून है

किनारा अभी दूर है,
हिम्मतों का टूटना कभी नही मंज़ूर है
रात की चादर है घनी सी
पर सवेरा भी नहीं अब दूर है…
साहस हो इरादो में तोह लकीरें भी बदल जाती है
मुश्किलें ही तोह है कभी न कभी खत्म हो जाती है
कोशिशों के इस कारवां में एक न एक दिन जीत मिल
ही जाती है…
बन कर मुसाफिर सफ़र में मंज़िल हासिल हो ही जाती है

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