प्रख्यात लेखक उषा बंदे की पुस्तक का विमोचन और काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया । ‘चित्रा की चिट्ठी और अन्य कहानियां’ पर मुख्य वक्ता मीनाक्षि फेथ पॉल ने किताब की सारगर्भित समीक्षा प्रस्तुत की और श्रीनिवास जोशी ने भी अपने विचार रखे । कार्यक्रम की अध्यक्षता कथाकार पालमपुर से पधारे सुशील कुमार फुल ने की और उनके इलावा प्रसिद्ध कथाकार सुदर्शन वशिष्ट, कवि जगदीश शर्मा, प्रोफेसर विजय लक्ष्मी, प्रोफेसर दिनेश शर्मा आदि विशेषरूप से उपस्थित रहे और विचार साँझा किए ।

“चित्रा की चिट्ठी और अन्य कहानियां”, चौदह अनुवादित कहानियों का यह संग्रह अपने आप में विविधाता संजोए हुए है । कहानियों का चयन कोई थीम या विशेष विषय सामने रखते हुए नहीं किया गया, यह बात उषा बन्दे ने साँजा की । “समय समय पर मराठी या अँग्रेजी की जो कहानियां पढ़ने में आई और अच्छी लगीं उसे लेखक की अनुमति लेकर अनुवादित किया, फिर प्रकाशन की प्रक्रिया शुरू हुई । आजकल, अनुवाद, समकालीन भारतीय साहित्य, हिमप्रस्थ, गिरिराज, विपाशा, सैनिक समाचार आदि पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर ये कहानियाँ छपतीं रहीं जिन पर पाठकों की ओर से बहुत उत्साहवर्द्धक प्रतिसाद मिला । तब सोचा, यदि इन कहानियों को संकलित नहीं किया तो ये शीघ्र ही काल के गर्त में खो जाएंगीं । इस तरह संकलन का विचार मन में आया” उन्होंने बताया ।

कहानियों में चाहे एक सूत्र नहीं है फिर भी हर कहानी में मन को छू लेने की शक्ति है, जीवन की चुनौतियों और संघर्षो तथा सामाजिक सरोकारों के प्रति जागरूकता है । कुछ कहानियाँ एक बड़ी दुनिया के बंद दरवाजे खोलने का सामर्थ्य रखती हैं तो कुछ भारत के विभिन्न प्रान्तों के समसामयिक ज्वलंत प्रश्नों एवं सामाजिक मूल्यों में आ रहे बदलाव व विखंडन से आए परिवर्तनों को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करती हैं ।

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