जाने-माने आपदा जोखिम प्रबंधन विशेषज्ञ नवनीत यादव ने कहा है कि आपदा से बचाव की नीतियां दिव्यांगों, बुजुर्गों और बच्चों को ध्यान में रख कर बनाई जानी चाहिए। अधिक जोखिम वाले इन वर्गों को विशेष रुप से जागरूक करने की जरुरत है। वह “आपदा जोखिम से बचाव का अधिकार” विषय पर उमंग फाउंडेशन के वेबिनार में बतौर विशेषज्ञ वक्ता बोल रहे थे। कार्यक्रम के संयोजक संजीव शर्मा ने बताया कि आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में उमंग फाउंडेशन द्वारा मानवाधिकार संरक्षण पर वेबिनारों की साप्ताहिक शृँखला में यह 22वां कार्यक्रम था। इसमें हिमाचल प्रदेश के अलावा कई अन्य राज्यों के लगभग 60 युवाओं ने हिस्सा लिया।

नवनीत यादव ने कहा आपदाओं के जोखिम से बचाव का अधिकार वास्तव में एक मानवाधिकार है। लेकिन इस बारे में देश और हिमाचल प्रदेश में जागरूकता की काफी कमी है। उन्होंने कहा कि बाढ़, भूकंप या अन्य व्यापक जोखिम वाले संकट तब आपदा में परिवर्तित हो कर नुकसान पहुंचाते हैं जब मनुष्य उनसे बचाव के लिए पहले से तैयार नहीं होता है।  उन्होंने बताया कि समूचा हिमालय क्षेत्र भूकंप के लिए अत्यंत संवेदनशील है। यह जोखिम आपदा को बड़ा न्योता दे रहा है क्योंकि शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल और अन्य सरकारी एवं निजी भवनों में जोखिम को कम से कम करने की व्यवस्था नहीं है। उन्होंने जापान का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां रिक्टर स्केल पर 9 तीव्रता वाले भूकंप से भी जानमाल का कोई नुकसान नहीं होता। जबकि कुछ वर्ष पूर्व नेपाल में 7 तीव्रता वाले भूकंप ने  हजारों लोगों की जान ले ली थी।

उनका कहना था कि सभी प्रकार के भवन भूकंप रोधी होने चाहिए। विशेषकर भूकंप के अधिक जोखिम वाले हिमालय क्षेत्रों में इसे कानूनन अनिवार्य किया जाना चाहिए। नवनीत यादव ने कहा कि आपका जो भी प्रबंधन में फर्स्ट एड की जानकारी भी अत्यंत आवश्यक है। स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक के विद्यार्थियों और और अन्य सभी वर्गों को इस बारे में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। आपदा की स्थिति में यह जीवन बचाने में काफी मददगार साबित हो सकता है। वेबिनार में  उमंग फाउंडेशन के ट्रस्टी डॉ. सुरेंद्र कुमार, सवीना जहां, सुमन साहनी और इतिका चौहान ने सहयोग दिया

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