गोपाल शर्मा, कांगड़ा, हि.प्र.

भारत मां के भाल की बिंदी,
हम सब का सम्मानहैं हिंदी।

संविधान के प्राण हैं हिंदी,
संसकारों का ज्ञान हैहिंदी,
तुलसी व रसखान है हिंदी,
कामायनी और गोदान है हिंदी।

जन जन का विश्वास है हिन्दी,
राग ,रंग और रास है हिंदी,
सब भाषाओं में खास है हिंदी
गुलकंद की मिठास है हिंदी।

प्रेम चंद का प्यार है हिंदी,
सुभद्रा का दुलार है हिंदी,
जीवन का आधार है हिंदी,
राष्ट्र प्रेम का सार है हिंदी।

सेना का अभिमान है हिंदी,
योग और ध्यान है हिंदी,
हर संवाद की शान है हिंदी,
हम सब का सम्मान है हिंदी।

भारत मां के भाल की बिंदी,
हम सब का सम्मान है हिंदी।

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