September 8, 2024

गौरवशाली विज्ञान सप्ताह – विज्ञान सर्वत्र पूज्यते का तीसरा दिन

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हिमाचल प्रदेश विज्ञान प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद (हिमकोस्ट), शिमला द्वारा  ग्लोरियस साइंस वीक – विज्ञान सर्वत्र पूज्यते एक सप्ताह के लंबे कार्यक्रम का तीसरा दिन  (24 फरवरी 2022) सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, संजौली, शिमला में मनाया गया। आज का कार्यक्रम वृत्तचित्र (विज्ञान पर आत्मनिर्भर) के साथ शुरू हुआ, जो भारतीय इतिहास के पूर्व और बाद के युग पर आधारित था, जिसमें खगोल विज्ञान, स्वास्थ्य, कृषि, कपड़े, हथियार आदि उन्नत प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में भारतीयों द्वारा अर्जित समृद्धता को दर्शाया है। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. महावीर खाची, भौतिकी विभाग, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला के व्याख्यान से हुई। उन्होंने गौरवशाली विज्ञान सप्ताह का द्वितीय विषय “आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मील के पत्थर” पर व्याख्यान दिया। उन्होंने नैनो टेक्नोलॉजी में मुद्दे, चुनौतियां और मैग्नेटिक नैनो वर्ल्ड के उज्ज्वल भविष्य पर व्याख्यान दिया। उन्होंने भोजन, स्वास्थ्य, वस्त्र और परिवहन आदि के क्षेत्र में नैनो प्रौद्योगिकियों के महत्व को समझाया।

उन्होंने समझाया कि पृथ्वी के विकास के बाद से अस्तित्व में नैनो तकनीक कैसे थी तथा महाकाव्य रामायण में प्रयोग किये गए   प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोगों का भी उल्लेख किया।  उन्होंने स्पिंट्रोनिक्स, बिग डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा दवा लक्षित कैंसर के क्षेत्र में अनुप्रयोगों पर विस्तार से बताया। उनका विशेष ध्यान नैनो प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विषाक्तता, विद्युतचुंबकीय विकिरण, स्वच्छ जल और सॉफ्ट नैनो चुंबकीय आदि से संबंधित समसामयिक मुद्दों पर छात्रों को जागरूक कराया । उन्होंने सुझाव दिया कि लगातार 24 मिनट से अधिक समय तक मोबाइल का उपयोग स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है और इससे त्वचा, आंखों, हड्डियों और प्रजनन क्षमता, न्यूरो संबंधी विकार होते है| उन्होंने बताया कि सेओग वाटर टैंक शिमला एशिया में नंबर वन है। उन्होंने मनाली में नैनो टेक्नोलॉजी के माध्यम से पर्यावरण शुद्धिकरण के लिए किए गए अपने नवीनतम प्रयासों को साझा किया ताकि पर्यटकों द्वारा किए गए भारी प्रदूषण के कारण ग्लेशियरों को पिघलने से बचाया जा सके।

प्रोग्राम की दूसरी डॉक्यूमेंट्री स्क्रीनिंग साइबर फिजिकल सिस्टम, डिवाइस ऑपरेटिंग सिस्टम, डायनेमिक्स, एम्बेड सिस्टम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मेडिकल मॉनिटरिंग आदि अनुप्रयोगों पर आधारित थी। द्वितीय वक्ता प्रो. एस.एस. कंवर, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, एचपीयू शिमला थे। उनका विषय जैव प्रौद्योगिकी संचालित प्रक्रियाओं और उत्पादों पर था। उन्होंने मानव जीवन में जैव प्रौद्योगिकी, प्रकार, महत्व के बारे में बताया। उन्होंने दवा के माध्यम से कोविड-१९  प्रबंधन में जैव प्रौद्योगिकी के योगदान को साझा किया। उन्होंने समझाया कि जैव प्रौद्योगिकी लोगों के लिए उच्च पोषण मूल्यों के साथ हाईब्रिड फल, सब्जी, अनाज देने के लिए कृषि और बागवानी के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति लेकर आई है। जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश की उपलब्धियों पर विशेष ध्यान देते हुए उन्होंने कहा कि किण्वन उद्योग विकसित हुआ है, मेगा फूड पार्क ऊना जिले में बनाया गया है, मूल्यवर्धन जैविक प्रमाणीकरण आदि कदम  हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए उठाये गए है। 

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