महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत माताओं व शिशुओं के विकास के लिए लागू योजनाएं अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसे अधिकारी गंभीरता के साथ क्रियान्वयन करें। यह विचार आज उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी ने समेकित बाल विकास कार्यक्रम के तहत जिला स्तरीय निगरानी एवं समीक्षा समिति, जिला कार्यबल के तहत विभिन्न योजनाओं की बैठक की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। उन्हांेने अधिकारियों को अपने दायित्वों का निर्वहन व्यक्तिगत प्रतिबद्धता के साथ करने की अपील की ताकि बच्चों का बौद्धिक व मानसिक विकास हो सके, जिससे आने वाले समय में देश के विकास को बल मिलेगा। उन्हांेने बताया कि पूरक पोषाहार कार्यक्रम में 2154 आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से 35 हजार 802 बच्चों, 9 हजार 196 गर्भवती व धात्री महिलाओं तथा 1925 प्रवासी लाभार्थियों को लाभान्वित किया जा रहा है। उन्हांेने बताया कि शालापूर्व शिक्षा के अंतर्गत 10 हजार 262 बच्चों को 16 दिन से अधिक पूर्व शाला शिक्षा प्रदान की जा रही है, जिसमें 5147 बालक व 5115 बालिकाएं शामिल है।

उन्होंने निजी भवनों से सरकारी भवनों मंे आंगनबाड़ी केन्द्रों को परिवर्तित करने के अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में आने वाली समस्या के प्रति जल्द सूचित करें ताकि सम्बद्ध अधिकारियों के संज्ञान में विषय को लाया जा सके। उन्हांेने कहा कि सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में शौचालय व पीने के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए तथा जिन केन्द्रों में यह सुविधाएं उपलब्ध नहीं है उसकी सूची जल्द उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए ताकि विभागीय आधार पर तत्काल यह सुविधा उपलब्ध करवाई जा सके। उन्हांेने आंगनबाड़ी के निर्माणाधीन भवनों को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में कार्य पूर्ति में आने वाली बाधा के लिए सम्बद्ध खण्ड विकास अधिकारियांे को सूचित करें। उन्होंने भवन निर्माण व शौचालयों निर्माणों के लिए आबंटित धनराशि का उपयोग कर उपयोगिता प्रमाण पत्र जल्द प्रेषित करने के निर्देश दिए। उन्हांेने कहा कि जिला में 71 आदर्श आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण के लिए सभी औपचारिकताएं व प्रक्रियाओं को पूर्ण कर अधिकारी संबंधित विभाग को जल्द रिपोर्ट करें ताकि कार्यपूर्ति का क्रम आरम्भ किया जा सके।

उन्होंने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा आरम्भ की गई अनेक योजनाएं अत्यंत लाभकारी है, जिसके लिए अधिकारी प्रतिबद्धता के साथ कार्य करें। उन्हांेने कहा कि मदर टेरेसा असहाय मातृ संबल योजना के तहत 903 माताओं एवं 1391 बच्चों को लाभान्वित कर 40 लाख 79 हजार 593 रुपये की राशि व्यय की जा चुकी है। उन्हांेने बताया कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत कुल 73 मामले स्वीकृत किए गए हैं। विधवा पुनर्विवाह योजना के तहत पात्र 4 विधवाओं को 2 लाख रुपये की राशि प्रदान की गई। मुख्यमंत्री शगुन योजना के तहत जिला में कुल 132 कन्याओं को 31 हजार रुपये प्रत्येक कन्या के आधार पर 40 लाख 92 हजार रुपये की राशि व्यय की गई है। बेटी है अनमोल योजना के अंतर्गत 9 लाख 28 हजार 300 रुपये व्यय कर 356 बालिकाओं को लाभान्वित किया गया। उन्होंने बताया कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत वर्ष 2022-23 के लिए कार्ययोजना को स्वीकृति प्रदान की गई। उन्हांेने कहा कि केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया जाए ताकि इसके दूरगामी सफल परिणामों से बालिकाओं को लाभ व उनके व्यक्तित्व का विकास हो सके।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत अब तक 22 हजार 476 गर्भवती महिलाओं को लाभान्वित किया गया है, जिस पर 9 करोड़ 70 लाख 45 हजार रुपये की राशि खर्च की जा चुकी है। बैठक में सशक्त महिला योजना के अंतर्गत वर्ष 2022-23 के लिए प्रति स्वयं सहायता समूह को 35 हजार रुपये की प्रारम्भिक राशि प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई। उल्लेखनीय है कि यह राशि जिला में 5 स्वयं सहायता समूह को दी जाएगी। बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी ममता पाॅल ने बैठक का संचालन किया तथा विभिन्न गतिविधियों के बारे में अवगत करवाया। बैठक में जिला पंचायत अधिकारी विजय बरागटा, जिला कल्याण अधिकारी कपिल, उप-निदेशक उच्च शिक्षा अशोक शर्मा, उप-निदेशक बागवानी डीआर शर्मा, जिला टीकाकरण अधिकारी डाॅ. मुनीश, कृषि व प्राथमिक शिक्षा के अधिकारी, जिला के विभिन्न क्षेत्रों से आए सीडीपीओ तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के कर्मचारी उपस्थित थे।

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