भीम सिंह, गांव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश।
उन रिश्तों को निभाऊं कैसे
जिनमें थोड़ा भी प्यार नहीं
ऐसे रिश्ते किस काम के हैं
जिन्हें दिल मानने को तैयार नहीं ।
रिश्ते वह ही अच्छे लगते हैं
जिन्हें आत्मा स्वीकार करे
उनसे मिलने को मन करता है
जो अच्छा व्यवहार करे।
अंहकार और स्वार्थ से भरे रिश्ते
लम्बी उड़ान नही भरते
मजबूरी में चाहे निभाने पड़े
मगर दिल से होकर नहीं गुजरते।
अपने हों या बेगाने
समझे मेरी इन बातों को
हमेशा सम्भाल कर रखें
अपने रिश्ते नातों को।
जीवन सुख से कट जाता है
यदि जज्वात मजेदार हों
खिलती रिश्तो की सुंदर बगिया
यदि एक दूजे पर पूर्ण एतवार हो।
बिभिन्न रिश्तों के संग हमारा
जीवन चलता, ढलता है
हमेशा रिश्तों के बीच रहकर
जीवन फूलता, फलता है ।
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