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भूख : जीवन की अद्वितीयता और चुनौतियाँ पर डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा
भूख, कैसी भी हो मिटती नहीं ,मुकती नहीं,बढ़ती है मरती नहीं,तड़पाती है और डालती है खलल, अक्सर नीद में !
भूख, पाटने को गांठने कोआदमी...
अंतर : डॉ० कमल के प्यासा की भावनात्मक समीक्षा
मंगसरू के हाथ अभी भी मिट्टी से सने थे। वह जोर जोर से मिट्टी को गूंथते हुवे जमीन पर पटक रहा था।पिछले कई दिनों से न जाने उसने कितने ही मिट्टी...