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जनाना री रोटी (पहाड़ी संस्करण): रणजोध सिंह

जनाना री रोटी (पहाड़ी संस्करण): रणजोध सिंह

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सारा पंडाल दर्शकां या फेरी भक्तजना ने पुरी तरह भरीरा था| स्वामी जी चिट्टे कपड़े पैनी ने, मथे पर चंदन-रोलीया रा टीका लगाई ने जिंदगीया रे गूड़ रहस्यां रा पर्दाफाश करने...
डॉo कमल केo प्यासा

समस्या: डॉo कमल केo प्यासा

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प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा ये समस्या है ,सब को ठन रही हैसमझता है हर कोईउलझन बड़ रही है,सिसकता रोताआंसू बहता ,बेचारा पर्यावरण हमारा ! नंग धड़ंगउजड़े जंगल,चिल्ला रहे हैं,कहरा...
डॉo कमल केo प्यासा

ग़ज़ल: मानवता पर डॉo कमल केo प्यासा के विचार

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आदमी को आदमी ही खाने लगा है ?लहू अपना ही खुद शर्माने लगा है !महज़ के नाम पर उठती हैं लाठियां !ईमान इतना डगमगाने लगा है !आदमी को आदमी रौशनी में...