वन विभाग मुख्यालय शिमला में श्री अजय श्रीवास्तव, प्रधान मुख्य अरण्यपाल (वन बल प्रमुख) की अध्यक्षता में हिमाचल प्रदेश ईको टूरिज्म़ विषय पर एक हितधारक बैठक का आयोजन किया गया। इस क्षेत्र में कार्यरत उद्यमियों, होटल व्यवसायियों, गैर सरकारी संगठनों, पर्यटन, पीडब्ल्यूडी, आईपीएच, ग्रामीण विकास और पंचायती राज आदि जैसे राज्य के विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों के अलावा मुख्यालय में वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और प्रदेश भर के विभन्न वन वृतों के मुख्य वन अरण्यपालों ने भौतिक या आॅनलाईन माघ्यम से बैठक में भाग लिया। अजय श्रीवास्तव ने पर्यटन और इको टूरिज्म के बीच की बारीक रेखा के बारे में कहा और इस बात पर जोर दिया कि इसे बनाए रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें राजस्व प्राप्ति के लिए ईको टूरिज्म़ गतिविधियों के अलावा राज्य के वनों और पारिस्थितिकी का संरक्षण भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिमाचल पहला राज्य है जिसने वर्ष 2001 के दौरान इकोटूरिज्म नीति तैयार की थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि पिछले दो दशकों में विभाग को बहुत सी समस्याओं के सामने के साथ-साथ अनुभवों की भी प्राप्ति हुई है और इकोटूरिज्म नीति में विभिन्न परिवर्तनों को शमिल करने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया।

राजेश शर्मा, सी० ई० ओ० एवं मुख्य वन अरण्यपाल (ईको टूरिज्म़) और श्रीमती प्रीति भंडारी, डी० सी० एफ० (ईको टूरिज्म़) ने राज्य की मौजूदा नीति और इकोटूरिज्म के लिए भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अलावा राज्य में की जा रही गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत किया। श्री राजेश शर्मा ने कहा कि राज्य स्तरीय ईकोटूरिज्म सोसायटी एक निजी संस्था के माध्यम से राज्य के लिए व्यापक ईकोटूरिज्म मास्टर प्लान तैयार कर रही है जो अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा कि व्यापक मास्टर प्लान की सिफारिशों को आगामी ईकोटूरिज्म नीति में भी शामिल किया जाएगा। श्री राजीव कुमार पी० सी० सी० एफ० वन्य प्राणी द्वारा समुदाय पर आधारित इकोटूरिज्म पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने कहा कि ईको टूरिज्म़ के मुख्य हितधारक स्थानीय समुदाय हैं, जो पर्यटकों को विभिन्न सेवाएंे प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि ईको टूरिज्म़ द्वारा क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर न्यूनतम प्रभाव वाले प्रकृति पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्थनीय लोगों की आर्थिकी को सुदृढ़ करना चाहिए। राज्य में ईको टूरिज्म़ में सुधार के लिए आने वाली बाधाओं पर भी चर्चा की गई। राज्य में ईको टूरिज्म़ को उजागर करने और लोकप्रिय बनाने के लिए पारदर्शी तरीके से विभिन्न पारिस्थितिक पर्यटन गतिविधियों के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य प्रमाणीकरण आवश्यक है, विभिन्न उद्यमियों व गैर सरकारी संस्थाओं ने इस विषय पर प्रकाश डाला।

उनका कहना था कि पारिस्थितिकी पर पर्यटन के प्रभाव और स्थानीय समुदाय की आर्थिक स्थिति में सुधार के बारे में निगरानी और मूल्यांकन पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। बैठक में ठोस कचरा प्रबंधन और सीवरेज उपचार संबंधी समस्याओं पर भी चर्चा की गई। गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने जोर देकर कहा कि राज्य में ईको टूरिज्म़ के विपणन की आवश्यकता है, जिससे सरकार और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर अधिक से अधिक राजस्व प्राप्त हो सके। बैठक में समुदायों के प्रशिक्षण विषय की आवश्यकता के बारे में भी चर्चा की गई। प्रधान मुख्य अरण्यपाल (वन बल प्रमुख) ने कहा कि विपणन और प्रचार, विभिन्न परियोजनाओं के अर्थशास्त्र और विभिन्न तौर-तरीकों, समुदाय आधारित इकोटूरिज्म मॉडल और ठोस कचरा प्रबंधन संबंधी प्रमुख मुद्दों पर उप समितियां बनाई गई हैं और ये उप समितियां अगले कुछ दिनों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी। उन्होंने कहा कि भविष्य की नीति में उप समितियों की सिफारिशों को भी शामिल किया जाऐगा। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों को आगामी इकोटूरिज्म नीति में शामिल करने के लिए सिफारिशें सरकार को जल्द ही भेजी जायेंगी।

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