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Earthquake Safety Mockdrill
कीकली रिपोर्टर, 4 अप्रैल, 2019, शिमला विभिन्न आपदाओं से होने वाले जानमाल व अन्य नुकसान को कम करने के लिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सभी विभागों से समन्वय स्थापित कर कार्य करने के लिए कृतसंकल्प है। उपायुक्त शिमला व जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष राजेशवर गोयल ने आज कांगड़ा में आए भूकम्प की स्मृति में ऐतिहासिक रिज मैदान पर...
कल्पना गंगटा, शिमला अलग अलग पैगाम लिए, नए नए आयाम लिए, सैलानियों को आमंत्रित करती, हरियाली को सफेदी में तब्दील करती पहाड़ों की बर्फ । सुंदरता इसकी मनभावन, पर किसी को देती ये चुभन, पशु-पक्षी आवास छोड़, भटकते वन-उपवन, कड़कती ठंड लिए, चांदी की चादर डाले पहाड़ों की बर्फ । उस आदमी से पूछो, जो नंगे पाँव चलता है, उस बच्चे से पूछो, जो कपड़ों को तरसता है, उस औरत से...
कल्पना गंगटा, शिमला मानव जन्म है जब लिया इस धरा पर, याद रखे जमाना कुछ ऐसा नया करना सीखो, शुद्ध धरा के इस आँगन में, तिमिर को हटाकर, उजाला नया भरना सीखो । परिस्थितियों से लड़ना तम से भी न डरना, सबको राह दिखते हुए, तिल-तिल कर जलना सीखो, जीना है तो दीपक बनकर जीना सीखो । पग-पग पर प्रकाश फैलाना, समय की डगर पर डटे रहना, भेदभाव अपने...
कल्पना गंगटा, शिमला अरे ओ पुष्प ! खोज रहा अस्तित्व तू कहाँ ? परेशान है क्यों जो मिला नहीं तुझे तेरा मुकाम माना जिस डाली पर हुआ तेरा जन्म बिछोह का उससे, तुझे है गम अब-तक माली, करता रहा तुम्हारी रखवाली आँधी-तूफान से बचाती रही तुझे हर डाली अब वक्त तुम्हारा है आया, उतार ले सारे कर्ज, पूरे कर ले तू अपने फर्ज खुशबू जो पाई तूने फिजा में...
उमा ठाकुर, आयुष्मान साहित्य सदन, पंथाघाटी, शिमला चूल्हे की तपन में, रिश्तों का ताना-बाना बुनती, पहाड़ की औरत, घुप्प अंधेरा खेत खलियान, आसमान की चादर ओढ़े, देवड़ी लांघ, टेढ़े-मेढ़े रास्तों पे गुजर, चूल्हे से घासनी का सफर तय करती, बिना धूप छाँव की फिक्र के ।। नहीं जानती पहाड़ के उस पार का जीवन, जानती है, बस इतना कि उसकी गाय बाट जोह रही है ।। बतियाती है, वो रोज़, कुत्ते-बिल्ली...
सीताराम शर्मा सिद्धार्थ, शिमला तुंग शिखर पर बैठा यौवन फैलता तिलिस्म वांछा प्रतिपल मनोवांछित उत्कर्ष स्वप्नलोक की छाया ऊष्ण तन सूर्य चंद्र की रक्तिम आभा घनगर्जन उर का स्पंदन मनका मनका माला खंडित मन का क्षोभ मन ही समझ न पाया I
सीताराम शर्मा सिद्धार्थ, शिमला तुम नहीं प्रेयसी, न ही मंजिल न ख्वाब, दोस्त भी नहीं, भय भी नहीं, कार्तिक पूर्णिमा का चंद्र भी नहीं, कि तुम्हारे मुखड़े को देख, वर्ष भर के लिए बसा लूं तुम्हें मन में, नेत्रहीन की तरह, कयास लगाता हूं, तुम्हारी वज्र आभा का, परस्त्री ! तुम्हारी लालसा  नहीं, शायद, कौतूहल ... या जिज्ञासा, कि पढ़ सकूं, तुम्हें तस्लीमा नसरीन की, प्रतिबंधित पुस्तक की तरह, चुराकर बचाकर, और रख दूं वहीं जहां तुम थी जहां हो, सुरक्षित अलमारियों में, खामोशी के...
डॉ. अंजली दीवान, ग्रह विज्ञान विभाग, सेंट बीडज कालेज, शिमला सब शांत कोई स्वर नहीं गूंजता, बर्फ के फाहे शवेत चादर, बुनते हुए आसमां से हिलते-डुलते, कुछ इठलाते, कुछ इक दूजे को छूते हुए, धरती पर जब बौछार करते हैं, तो पेड़ पौधे नतमस्तक हो, करते हैं उनका स्वागत । खिड़की पर बैठी उनकी अठखेलियां देखती हूँ, तो मन झूमने लगता है । प्रकृति का सौंदर्य चर्मसीमा पर, पहाड़ सफ़ेद...
Anubha Gupta She wasn’t fair, So wasn’t life, And the people, The day she started, Slapping fairness, Creams on her face, She was a part of the beauty race. She had erred on her part, By putting those creams In her cart, Her round belly was a thing to-be laughed on, Making her worry about, What had to be worn. She wasn’t worried about the society. She was scared of her own blood Who let...
Sahaj Sabharwal, Delhi Public School, Jammu Time has come now, For an ending, wow. Your friendship will be no more, Your absence will make things bore. Gossips with friends, Learning new trends. Talks with us, you did, Forever, you are alive in our mind. Its time to say you goodbye, Hope you neither weep nor cry. The time we spent together, In pleasant and harsh weather. I remember those days, Enjoyable past with...
Ritanjali Hastir, Associate Editor, 30th March, 2019, Shimla It's supposed to be hard, if it wasn’t, everyone would do it, hard is what makes it great! Sums up an exciting and thrilling day spent at Bishop Cotton School Shimla here today, as they organized their Annual Obstacle Course Competition – a series of challenging physical obstacles an individual or team...
Sahaj Sabharwal, Delhi Public School, Jammu लो आ गया नया ज़माना, स्वच्छ भारत बन गया है एक बहाना । क्या भारत की स्वच्छता का इरादा, टूट रहा है यह स्वच्छ भारत का वादा । सैलानी हैं आते यहाँ, दिखती है गंदगी देखें जहाँ  । क्या वैष्णो देवी की पवित्र पहाड़ियां, लिपटी जो रहतीं  हैं,  बर्फीली  साड़ियां । एवं  मनुष्य  की अपवित्रता  का साथ, दया करो हम पर तो भैरवनाथ  । इसी गंदगी का करना...