
शास्त्रों व पौराणिक साहित्य से अंजनी पुत्र हनुमान के कई सहासिक और चमत्कारी किस्से कहानियां सुनने को मिलती हैं ,जिनसे पता चलता है कि बलशाली हनुमान सच ही बड़ा पराक्रमी वीर व योद्धा था।अभी जब वह ,बाल अवस्था में ही था तो मां उसके खान पान का पूरा ख्याल रखती थी,फिर भी एक दिन भूख का अहसास होने पर बालक हनुमान सूर्य के लाल गोले को ,पक्का फल समझ कर उसके पीछे पीछे खाने को भागने लगा और जब वह सूर्य को निगलने ही वाला था कि पीछे से देवराज इंद्र ने उस पर अपने वज्र से प्रहार कर दिया ।प्रहार से बालक हनुमान नीचे जा गिरा तथा उसकी टांग की हड्डी टूट गई और वह मूर्छित हो गया। जिसे बाद में देव ब्रह्मा जी ठीक कर दिया था।
ब्रह्मांड पुराण के अनुसार त्रेता युग में चैत्र पूर्णिमा को मंगल के दिन चित्रा नक्षत्र व मेष लग्न में वीर हनुमान का जन्म माता अंजनी व पिता केसरी के यहां कपिस्थल नामक स्थान में हुआ था।धर्मशास्त्रों के अनुसार वैसे तो अनेकों कथा व कहानियां आपस में एक दूजे से जुड़ी देखी जाती हैं और ऐसी कथा कहानियां देवी देवता ,ऋषि मुनि ,राजा महाराजा व किसी सिद्ध पुरुष के शाप या वरदान से ,आगे से आगे चलती हैं। ऐसे ही एक शाप कथा में (वानरी हो जाने का शाप )हनुमान की माता अंजनी को ऋषि दुर्वासा ने दिया था ,क्योंकि उससे (फल तोड़ते हुवे )अचानक कुछ फल तपस्या कर रहे दुर्वासा ऋषि पर जा गिरे थे और उनकी तपस्या के भंग हो जाने से ही उन्होंने अंजनी को शाप दे डाला था।
वैसे अंजनी पुंजिकस्थली नामक अप्सरा के रूप में देव इंद्र के दरबार में अपनी सेवाएं देती थी।दुर्वासा के शाप से दुखी हो कर उसने रोते रोते कई बार क्षमा याचना भी की थी,जिस पर ऋषि ने उसे तरस खा कर इच्छानुसार रूप धारण करने का वर दे दिया था। कहते हैं कि हनुमान को भी ऋषियों से शाप मिला था ,जिसके अनुसार वह अपनी सुध बुध भुला बैठे थे और इनका अवतरण भगवान राम जी की सहायता के लिए हुआ था। इसी लिए इन्हें राम भगत हनुमान भी कहा जाता है। वैसे तो इनके 108 नाम बताए जाते हैं ,जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार से हैं, अर्थात बजरंगबली(वज्र जैसा शरीर होने के कारण),मारुति,अंजनी पुत्र,पवन पुत्र,संकट मोचन,केसरी नंदन,महावीर व कपीश आदि।
रामायण में तो उनका पराक्रम किसी से छिपा नहीं रहा,जैसे वानरों की सहायता से समुद्र में सेतु बनाना,लंका में पहुंच कर माता सीता का पता लगाना,रावण की वाटिका का तहस नहस करना,अपनी पूंछ से लंका को जलाना व अत्याचारी राक्षशों का वध करना आदि आदि। इन सभी के साथ ही साथ वीर हनुमान ने ही लक्ष्मण के मूर्छित हो जाने पर संजीवनी बूटी के लिए सारा पहाड़ ही उठा लाया था।और फिर जीवन भर प्रभु श्री राम के चरणों में रह कर सेवा करते रहे थे,तभी तो इन्हें आज भी सभी राम भगत हनुमान के नाम से याद करते हैं।
हनुमान जी सभी के दुखों को हरते हैं ,इसी लिए जब भी किसी पर दुख,संकट,विपत्ति आती है या कहीं भी भूत प्रेत या डर की घड़ी आती है तो सभी उस समय बजरंगबली को ही याद करते हुवे हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। इनके अस्त्रों में शामिल हैं,गदा,वज्र और धवज और हनुमान जी का जाप मंत्र है ओम श्री हनुमते नमः इनके शुभ दिनों में मंगल वार व शनिवार आ जाते हैं और इनमें लोग हनुमान जी का व्रत रखना भी शुभ समझते हैं। हनुमान जी को कई लोग भगवान शिव का अवतार भी मानते हैं। इस बार हनुमान जयंती 23 अप्रैल ,2024 को मनाई जा रही है।