रणजोध सिंह

शर्मा जी ने एक अध्यक्ष के रूप में महाविद्यालय में कार्यभार संभाला था| कार्यालयी स्टाफ में उनका स्थान सबसे ऊँचा था | एक दिन शर्मा जी जैसे ही अपने कार्यालय कक्ष में पहुंचे तो देखा कि कार्यालय में दमघोटू सा वातावरण पसरा हुआ था| उस समय वहां पर पांच चपरासी उपस्थित थे| किसी ने कमरे में झाड़ू तक न लगाया था|

शर्मा जी ने इस बाबत जब उनसे पूछा तो पता चला कि उस दिन सफाई कर्मचारी बीमार हो जाने के कारण कॉलेज नहीं आया था और कमरों की सफाई करना चपरासियों की ड्यूटी में शामिल नहीं था, इसलिए सफाई नहीं हो सकी| शर्मा जी चुपचाप उठे, झाड़ू उठाया और स्वयं ही अपना कमरा साफ करने लगे| फिर तो पांचों चपरासी एक साथ भागे हुए आए और हाथ जोड़ कर कहने लगे, “सर हमारे रहते हुए आप झाड़ू लगाएं, यह तो हमारे लिए शर्म की बात है|”

शर्मा जी ने चुटकी ली, “जिथे मुर्गा बांग न देवे, ओथे सवेर नी होंदी?” अर्थात जहाँ मुर्गा न बोले, वहां क्या सुवह नहीं होती है| उस दिन के बाद न केवल शर्मा जी का कमरा बल्कि पूरा महाविद्यालय उनके आने से पहले ही बिल्कुल साफ होता है चाहे सफाई कर्मचारी हो या ना हो|

India And UAE Strengthen Educational Collaboration With MoU Signing

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