रणजोध सिंह

सलमा का बड़ा बेटा आरिफ दस-जमा-दो करने के पश्चात एक निजी कंपनी में सुरक्षा कर्मचारी के रूप में कार्यरत हो गया था | घर में चार पैसे आने लगे तो सलमा को बेटे की शादी की चिंता सताने लगी | कहते हैं, जहां चाह, वहां राह, शीघ्र ही एक खानदानी परिवार से उसके लिए एक विवाह प्रस्ताव आया | लड़की देखने में सुन्दर व शालीन थी, अत: सलमा भी उसमें अपनी पुत्र-वधु तलाशने लगी | उसका बेटा आरिफ तो पहली ही नजर में उसके रूप का कायल हो गया था |

इससे पहले कि यह विवाह संपन्न हो पाता, सलमा की एक रिश्तेदार ने आरिफ की किस्मत पर रश्क करते हुए सलमा को बधाई दी, “अरी ! सलमा तुम्हारी तो किस्मत ही खुल गई, तुम्हारी होने वाली बहु ने बी.ए. की पढ़ाई की है, हो सकता है कल को वह कोई नौकरी भी करने लगे, फिर तो तुम्हारे वारे-न्यारे हो जायेंगे |”

यह सुनते ही सलमा पर तो जैसे कोई वज्रपात हो गया | उसने आरिफ को बुलाया और दो टूक शब्दों में आदेश दिया कि वह उस लड़की को भूल जाए | आरिफ को गहरा सदमा लगा क्योंकि वह मन ही मन उस लड़की को अपनी हमसफर मान चुका था |

उसने पूरी ताकत से मां के निर्णय का विरोध करते हुए पूछा, “माँ अंजुमन में क्या कमी है? वह खूबसूरत है, पढ़ी-लिखी है, कल तक वह आपको पसंद थी, फिर अचानक आज क्या हुआ कि आपने निकाह से इंकार कर दिया?”

सलमा ने विफरते हुए कहा, “कल तक मुझे यह नहीं पता था कि अंजुमन इतनी पढ़ी लिखी है, एक तो पढ़ी-लिखी लड़कियों के वैसे ही बहुत नखरे होते हैं, दुजे यदि कल को वह नौकरी करने लगे तो घर का काम कौन करेगा ? मैंने जिंदगी भर इस घर को संवारा है, क्या वह घर का काम कर लेगी? गोबर उठा लेगी ? खेत-खलियानों  को संभाल लेगी ? तू क्या चाहता है तेरी मां तमाम उम्र दाल-रोटी, खेत-खलियानों में ही डटी रहे ? क्या मुझे आराम करने का कोई हक नहीं ? मुझे इस घर के लिए काबिल बहु चाहिए, मालकिन नहीं |”

इधर आरिफ सोच रहा था कि माँ को बहु चाहिए या नौकरानी !

Previous articleHP Daily News Bulletin 12/02/2023
Next articleNew Sports Infrastructure In SAI NCOE Lucknow

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here