उत्कृष्ट शिक्षा केंद्र राजकीय महाविद्यालय संजौली में हिंदी विभाग और भाषा एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में समकालीन साहित्य : विविध परिप्रेक्ष्य को लेकर के राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

जिसमें देश और प्रदेश के विद्वानों, प्राध्यापकों और शोधकर्ताओं ने अपने अपने विचार रखें और संगोष्ठी के विषय को अपने अनुभव और ज्ञान के हिसाब से परिभाषित किया। दिल्ली से आए समकालीन कवि और आलोचक मदन कश्यप ने कहा कि समकालीन साहित्य को सन 70 से 90 और 1990 से आज तक अलग-अलग रूप से पढ़ा जाना चाहिए और इसके अलग-अलग परिप्रेक्ष्य है उनके अनुसार साहित्य समाज का स्वरूप जो प्रस्तुत करता है जैसा समाज में घटित होता है ।

बिहार से आए डॉक्टर अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने पिछले 60 वर्षों में अनेक विमर्श को स्पष्ट किया और साहित्य में उपजे विभिन्न आंदोलनों के प्रभाव का विश्लेषण किया।

उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ पंकज ललित ने कहा संगोष्ठी आयोजन की सराहना करते हुए कहा साथ ही विभाग के योगदान पर प्रकाश डाला। दूसरे सत्र में डॉ बलदेव शर्मा, डॉ पान सिंह और डॉ हेमराज कौशिक ने समकालीन साहित्य की विविधता को स्पष्ट किया तथा आज लिखे जा रहे साहित्य का वयापक प्रलक पर विश्लेषण किया।

इस संगोष्ठी का तीसरा सत्र प्राध्यापकों और शोधकर्ताओं के पत्र वाचन पर आधारित रहा जिसकी अध्यक्षता डॉ कुंवर दिनेश और डॉ राजेंद्र वर्मा ने की प्रतिभागियों में डॉ प्रियंका भारद्वाज , देवकन्या ठाकुर डॉ दिनेश शर्मा डॉ देवेंद्र शर्मा, डॉ प्रकाश चंद, डॉ राजन तंवर रचना तंवर, अंजना ठाकुर, मुकेश कुमार, शिल्पा ठाकुर, मनीषा कुमारी कन्याकुमारी कल्पना इत्यादि अनेक शोधकर्ताओं ने विविध विषयों पर पत्र वाचन किया ।

समापन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में श्रीनिवास जोशी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का साहित्य पर संकट को लेकर के विश्लेषणात्मक व्याख्यान प्रस्तुत किया और मुख्य अतिथि सचिव भाषण संस्कृति विभाग राकेश कंवर ने कहा कि साहित्य मनुष्य की मनोवृति को परिष्कृत करता है और साहित्य पढ़ने और उस पर चर्चा करने से मनुष्य जीवन की बहुत सारी अनसुलझी गूथिया चिंताओं और चेतना उनको स्पष्ट करने का अवसर मिलता है संजौली महाविद्यालय ऐसे आयोजन के लिए बधाई का पात्र है महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सी बी मेहता ने सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया ।

इस संगोष्ठी के संयोजक डॉ सत्यनारायण स्नेही ने संगोष्ठी के निहित मंतव्य को स्पष्ट किया और कहा कि समकालीन साहित्य को आधार मानकर जिस उद्देश्य से इस साहित्य का अनुष्ठान का आयोजन किया गया था उसमें बहुत हद तक सफलता प्राप्त हुई है और देश और प्रदेश के आधिकारिक विद्वानों और शताधिक प्रतिभागियों ने अपने विचारों से समकालीन साहित्य के विविध विमर्शों को स्पष्ट किया है।

जो कि आने वाले समय में जब पुस्तक के रूप में इसका प्रकाशित किया जाएगा तो भविष्य में साहित्य के अध्येताओं के लिए मार्गदर्शन का काम करेगी। 4 सत्रों में चली इस संगोष्ठी का सफल संचालन डॉ कामायनी बिष्ट और डॉ बबीता ठाकुर ने किया इस अवसर पर प्रतिष्ठित कथाकार एसआर हरनोट, मोहन साहिल, ओम प्रकाश शर्मा, स्नेह नेगी तथा महाविद्यालय की अचार्य गण, बाहर से आए प्रतिभागी तथा विद्यार्थी मौजूद रहे।

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