शिमला के प्रख्यात रंगकर्मी देवेन जोशी की स्मृति में आयोजित भाषा कला एवं संस्कृति विभाग के दो दिवसीय नाट्य उत्सव की दूसरी संध्या में रवि कौशल के निर्देशन में एडवर्ड एलबी लिखित नाटक ‘द जू स्टोरी’ प्रस्तुत किया गया । नाटक ‘द जू स्टोरी’ मैं पार्क में बैठे एक शालीन सभ्य व्यक्ति सात्विक जोशी (भूपेंद्र शर्मा) का सामना एक आम आदमी विजय (सुरेंद्र गिल) से होता है । दोनों के बीच एक लंबा संवाद होता है जिसमें विजय अपने जीवन के कटु सत्य को उजागर करता है। इस संवाद से यह तथ्य उभर कर सामने आता है कि आज के दौर में इंसान का जानवर से और जानवर का जानवर से रिश्ता तो बन रहा है लेकिन इंसान का इंसान से रिश्ता नहीं बन पा रहा है । नाटक के अंत में एडवर्ड एलबी (जवाहर कौल) खुलासा करते हैं कि इंसान ने अपने आपको पिंजरे में कैद कर लिया है और उस पिंजरे में लोहे की सलाखे बीच में नहीं है बल्कि सलाखें भी डिजिटल हो गई है । इन सलाखों के बीच से वह देखता तो सब कुछ है लेकिन न बोल पाता है, न सुन पाता है ना ही महसूस कर पाता है हम बात तो कर रहे हैं लेकिन सुन नहीं रहे इसलिए आम आदमी हर दौर में मरता रहेगा क्योंकि समाज ने उसका मरना तय कर दिया है भूपेंद्र शर्मा व सुरेंद्र गिल के उमदा अभिनय को रवि कौशल के कुशल निर्देशन ने इस कठिन नाटक को बहुत सरल बना दिया ।

मंच सज्जा अजय शर्मा व संजय सूद, रूप सज्जा धीरज रघुवंशी, वेशभूषा संजय सूद व प्रकाश अशोक कुमार का रहा। नाटक के अंत में देवेन जोशी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर रंगकर्मियों द्वारा अपने विचार साझा किए गए। स्वर्गीय देवेन जोशी के बड़े भाई श्रीनिवास जोशी ने इस अवसर पर मंचन के लिए नाटक कलाकारों का धन्यवाद किया और नाट्य कला के संवर्धन के लिए हर वर्ष नाट्य समारोह की कामना की। इस अवसर पर स्वर्गीय देवेन जोशी की दो बहने जयश्री और ईंदू उनके भाई स्वर्गीय विजयन जोशी की पत्नी तनुजा भी उपस्थित रहे। नटयानुकृति शिमला के अध्यक्ष संजय सूद ने बताया कि 70 के दशक से लेकर 2000 तक देवेंदन जोशी रंगमंच में अभिनय क्षमता के साथ सक्रिय रहे। आज के दौर के सभी वरिष्ठ रंगकर्मी उसी विलक्षण प्रतिभा के तराशे हुए हैं। देवेन जोशी शिमला के उत्कृष्ट निर्देशकों में शुमार थे जिन्होंने शिमला रंगमंच को बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए अथक परिश्रम और साधना का परिचय दिया था। शिमला नगर के समस्त रंगकर्मी जिसमें परिधि द प्लेटफार्म, समन्वय, प्रेरणा, नाट्य अनुकृति, संकल्प रंगमंडल, व दी बिगर्नज़ एवम अन्य कई संस्थाएं शामिल है ने आज मिलकर शिमला रंगकर्म के महान हस्ताक्षर को नाटक के माध्यम से भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

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