साहित्यकार निर्मल वर्मा की जयंती के उपलक्ष्य पर भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा आज गौथिक हाॅल, गेयटी थियेटर में निर्मल स्मृति कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता सचिव भाषा एवं संस्कृति विभाग राकेश कंवर ने की।
उन्होंने कहा कि हिन्दी साहित्य में हिमाचल प्रदेश के लिए निर्मल वर्मा एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वह एक स्वतंत्र लेखक थे। उनका जन्म 3 अप्रैल, 1929 को शिमला में हुआ था। उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध लेखककार एवं साहित्यकार निर्मल वर्मा को हिमाचल के साथ-साथ शिमला के लोगों को भी पढ़ना चाहिए। उनके द्वारा किया गया कार्य बाकि लेखकों से अलग है। उन्होंने कहा कि आगामी हर वर्ष इस दिवस को नए स्वरूप के साथ बड़े पैमाने पर आयोजित करने का प्रयास किया जाएगा ताकि प्रदेशवासियों को निर्मल वर्मा के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानकारी प्रदान हो सके।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता पंजाब विश्वविद्यालय से प्रो. सत्यपाल सहगल ने स्मरण मंे निर्मल विषय पर अपना वक्तव्य रखा। उन्होंने कहा कि निर्मल वर्मा अपने अनुभव एवं अध्ययन की वजह से ही अपनी पहचान बनाए रखे हुए है। इसके अतिरिक्त मुख्य वक्ता एडवांस स्टडी शिमला मंे राष्ट्रीय फैलो प्रो. शंकर शरण ने निर्मल वर्मा से क्या सीखें विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि महान साहित्यकारों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। कार्यक्रम में पंजाब विश्वविद्यालय में शोधार्थी नवीन कुमार नीरज ने निर्मल वर्मा की साहित्य दृष्टि पर अपना पत्र वाचन किया। वहीं डाॅ. तुलसी रमन ने रचना पाठ और कार्यक्रम का संयोजन किया। इस अवसर पर अतिरिक्त निदेशक डाॅ. सुरेश जसवाल, श्रीनिवास जोशी, के.आर. भारती, डाॅ. ओजी हांडा, डाॅ. हरी चौहान, अमित शर्मा, अल्का कैंथला, कुसुम संधाई, अनिल हारटा एवं वरिष्ठ साहित्यकार एवं अन्य साहित्यकार उपस्थित थे।

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