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जनाना री रोटी (पहाड़ी संस्करण): रणजोध सिंह

वह हँसती क्यों है: रणजोध सिंह की लघुकथा

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हर समय खिल-खिलाने वाली नंदिनी के बारे में कॉलोनी के लोग इतना ही जानते थे कि वह एक निजी कम्पनी में काम करती है और अकेली रहती है| वह न केवल...
डॉo कमल केo प्यासा

आईना: डॉo कमल केo प्यासा

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मूक हूं जड़ हूं,चेतन नहीं !देखता हूं दिखता हूं,बोलता नहीं !सच सच कहता हूंझूठ कभी बोला ही नहींसच ही बताता हूं !जैसा जैसा पाता हूंवैसा वैसा उगल देता हूं ! हक अधिकार...
डॉo कमल केo प्यासा

हाथ : डाॅ० कमल के॰ प्यासा

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प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा कटे फटे काले काले,मैले कुचैलेनन्हें नन्हें हाथ !पेट की खातिर जीतेपेट की खातिर मरते।जिधर चाहो लग जाते,गंदगी,मैला,गंध _ दुर्गंधसब कुछ भुला केखुद देह तड़पातेऔर...
जनाना री रोटी (पहाड़ी संस्करण): रणजोध सिंह

सेवानिवृत्ति के बाद : रणजोध सिंह

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सेवानिवृत्ति के बाददोस्त ने पूछासेवानिवृत्ति के बाद भी कुछ करते हो?मैंने कहाअभी सेवानिवृत्त हुआ हूँनिवृत्त नहीं हुआ हूँदोस्त ने हँसते हुए पूछामेरा मतलब काम क्या करते हो?मैंने कहादोस्त पूछो मतबस काम...