Creativity cannot be bound by the number of words or space constrains, the only limitation it faces is by its creator. S/he decides the fate of the poem or the story, s/he weaves the characters, the roles, the time and the part played by each. It is the writer who brings a semblance to his poems and stories that finally attract its readers. KEEKLI, in its endeavour to promote creativity now brings a collection of poem/articles/stories by our very own Bards of Hills. These are people with whom you meet daily, share a friendly hug, a cup of coffee, s/he maybe a teacher, a doctor or an employee. What they all commonly share is a passion for the written word. KEEKLI gives them wings….
Ye Zindagi – Neelam Bhatt
Yeh Zindagi — Life gives us various experiences. Sometimes it seems positive and sometimes it feels like a burden. But despite these things, there is something which helps us in moving ahead…
रेडियो सखी — मित्र् दिवस पर विशेष
उमा ठाकुर, शिमला
विविध भारती का सखी सहेली
कार्यक्रम हो या आकाशवाणी
शिमला का महिला सम्मेलन.
मेरे पापा
आयुष ठाकुर, शिमला
सबसे प्यारे सुपर कूल मेरे पापा,
रोज़ सुबह हम सैर पर जाते,
खेल खेल में होमवर्क कराते,
माँ को नमन
उमा ठाकुर, शिमला
नमन माँ के जज़्बे को
जो मासूम धड़कन
बचाए रखना चाहती है
हाशिए पर खड़ा आदमी
अशोक दर्द
हाशिए पर खड़ा आदमी,
धूप मे झुलस जाता है मूक होकर,
क्योंकि यह सूरज के खिलाफ विद्रोह करना नहीं जानता,
Father
Sahaj Sabharwal, Jammu City
You are behind every carefully checked step of my life,
Along with my mother who is your wife.
Natures Stature
Arnaav Bellani, Class XII, New Delhi
Be like the trees,
That give us such a hearty breeze,
And take nothing in return,
करवा चौथ
उमा ठाकुर, शिमला
अनमोल रिश्तों में सिमटी जीवन चक्र में, झरने सी बहती
जज़्बातों के सैलाब से उभरकर, परिपक्व होती औरत ।
सहेजती बिना शर्त रिश्ते निभाती,
Hand Washing
Harshita Kashyap
Whenever on the playground we crawl,
Or while playing we have a nasty fall,
Whenever we play and win basketball,
TEACHER – Our Future Maker
Sahaj Sabharwal, Jammu City, Jammu and Kashmir
Giving us knowledge of something is a teacher,
Having an inbuilt experience feature.
A good teacher teaches us by heart,
Misty Monsoons
Promilla Marwah, New Delhi
A sudden drop of rain just came and settled on my window,
Then one, then two, then three,
And lo! With a thunderous clap the monsoon waters lashed at the misty glasses.
The Benevolent Tree
Shreyashi Rana, Former Student of Auckland House Girls School
I had a dream, a long time ago,
Saw myself talking to a deodar tree,
It was the only one that stood in the vicinity,
मेरा गाँव
कल्पना गांगटा, शिमला
मेरा गाँव अब रहा नहीं मेरा,
हर डगर पर किया शहर ने बसेरा,
अकेला है आज गाँव का चौपाल,
मुरझाया फूल
कल्पना गांगटा, शिमला
देख कर सड़क पर एक मुरझाया फूल,
चुभ गया हिरद्य में भी शूल,
ताउम्र डाली की बाहों में झूलता रहा,
HOPE
Shreyashi Rana, Former Student of Auckland House Girls School
At times it’s better to keep lowkey,
Good enough not to show you bleed,
Hiding all your hobbies,
माँ एक प्रतिमा है
कल्पना गांगटा, शिमला
माँ एक प्रतिमा है,
सदियों से हमें प्रेम की छाया देती आई,
रात-रात जागकर सुलाती हमें है आई,
मेरी माँ
बानी सिमर कौर, शिमला
पलकें झपके,
या आँसू टपके,
हर पल वो मुझे सहलाती।
Insulting Simple Living for Joys
Sahaj Sabharwal, Jammu City
When people get bored,
They find other people to find their joys.
People they find are mostly ignored,
ज़िन्दगी
डिम्पल ठाकुर (हिना), शिमला
खुशियां है ज़िन्दगी, तो गम क्या है
जीना है जिंदगी, तो मौत क्या है
मुस्कुराना है जिंदगी तो रोना क्या है
बेटे
उमा ठाकुर, पंथाघाटी, शिमला
कुल का दीपक, घर का चिराग,
माँ की छाँव, पिता का ताज,
होते हैं बेटे ।
जन्मदिन पर माँ की बेटे के नाम चिट्ठी
उमा ठाकुर, पंथाघाटी, शिमला
शुभ आशीष मिले तुम्हें,
हो स्वस्थ, सुखमय जीवन,
जन्मदिन के शुभ अवसर पर,
पिता
कल्पना गांगटा, शिमला
आकाश सा असीम अनन्त व्यक्तित्व है पिता,
भीतर-भीतर टूटता रहता, आभास टूटन का नहीं होने देता ।
त्याग व ममता की मूर्त कहलाती माता,
उमंग
रोशन लाल पराशर, लोअर फागली शिमला
नई उमंग के साथ जियो,
ऊर्जा यों मत व्यर्थ गवाओ ।
आगे बढ़कर लो ज़िम्मेवारी,
रिश्ते
रोशन लाल पराशर, लोअर फागली शिमला
ईर्ष्या नफरत मिटे जहां से,
हंसी खुशी फैले चहुं ओर ।।
व्यर्थ बातों को देकर तूल,
हरी-भरी ये धरती
डिम्पल ठाकुर
हरी -भरी ये धरती
दुल्हन जैसी नज़र आए
जिस और कदम बढ़ाउं
पहाड़ो पर बर्फ
कल्पना गंगटा, शिमला
अलग अलग पैगाम लिए,
नए नए आयाम लिए,
सैलानियों को आमंत्रित करती,
दीपक बनकर जीना सीखो
कल्पना गंगटा, शिमला
मानव जन्म है जब लिया इस धरा पर,
याद रखे जमाना कुछ ऐसा नया करना सीखो,
शुद्ध धरा के इस आँगन में, तिमिर को हटाकर,
पुष्प
कल्पना गंगटा, शिमला
अरे ओ पुष्प ! खोज रहा अस्तित्व तू कहाँ ?
परेशान है क्यों जो मिला नहीं तुझे तेरा मुकाम
माना जिस डाली पर हुआ तेरा जन्म
पहाड़ और औरत
उमा ठाकुर, आयुष्मान साहित्य सदन, पंथाघाटी, शिमला
चूल्हे की तपन में,
रिश्तों का ताना-बाना बुनती,
पहाड़ की औरत,
उलझाव
सीताराम शर्मा सिद्धार्थ, शिमला
तुंग शिखर पर
बैठा यौवन
फैलता तिलिस्म
वांछा प्रतिपल
परस्त्री
सीताराम शर्मा सिद्धार्थ, शिमला
तुम नहीं प्रेयसी,
न ही मंजिल न ख्वाब,
दोस्त भी नहीं,
Smartphone’s Addiction
Sahaj Sabharwal, Delhi Public School, Jammu
What the hell!
Smartphone has made everyone enthral.
It is neither fake nor a lie,
Spectacles are seen on everyone’s eye.
The Hurting
Anubha Gupta
She wasn’t fair,
So wasn’t life,
And the people,
Friend’s Departure
Sahaj Sabharwal, Delhi Public School, Jammu
Time has come now,
For an ending, wow.
Your friendship will be no more,
बर्फ और मैं
डॉ. अंजली दीवान, ग्रह विज्ञान विभाग, सेंट बीडज कालेज, शिमला
बर्फ की मैं हूँ दीवानी
जब यह आती है तब मैं करती हूँ स्वागत ।
हाथों में ले भीग-भीग जाती हूँ
स्वच्छ भारत
Sahaj Sabharwal, Delhi Public School, Jammu
लो आ गया नया ज़माना,
स्वच्छ भारत बन गया है एक बहाना ।
क्या भारत की स्वच्छता का इरादा,
सोच
मनप्रीत कौर
मत देख की कोई शख़्स गुनहगार कितना है,
ये देख की तेरे संग वफादार कितना है ।।
मत सोच कि उसे नफरत है,
Large Results in a Little
Sahaj Sabharwal
Large numbers of rain drops,
Results in a little water body.
Large quantities of water,
Results in a little pure water.
बर्फ गिर रही है
डॉ. अंजली दीवान, ग्रह विज्ञान विभाग, सेंट बीडज कालेज, शिमला
सब शांत कोई स्वर नहीं गूंजता,
बर्फ के फाहे शवेत चादर,
बुनते हुए आसमां से हिलते-डुलते,
Mother
Sahaj Sabharwal
You are my pain curing,
You are my thoughts hearing,
You are my progress rising,
दुनिया
सीताराम शर्मा सिद्धार्थ
संभल के चल इस डगर चाहतें दम तोड़ती हैं यहां,
रख तेज नजर पंखों पे हवा भी रुख बदलती है यहां,
सेहत के लिए खराब है कितना भी लिख लो,
अजनबी
डिम्पल ठाकुर (हिना)
जब हम अजनबी हो जाएंगे,
तुम मुझे देख कर नज़रे फेर लोगे,
मैं तुम्हें देख कर नज़रे झुका लूंगी।
लड़कियां
अशोक दर्द
धान की पनीरी की तरह
पहले बीजी जाती हैं लड़कियां
थोड़ा सा कद बढ़ जाये
माँ
अनामिका मल्होत्रा
माँ तू अनूप है,
‘इश्क़’ का स्वरुप है,
आप ही की दें से,
ये मेरा रंग रूप है…
very nice